
हरियाणा की सिरसा सीट को लेकर बीजेपी की लोकसभा सांसद सुनीता दुग्गल ने बड़ा दावा किया है। सिरसा से मैं ही लोकसभा चुनाव लडूंगी, अशोक तंवर नहीं लड़ेंगे। हाल ही में आम आदमी पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए अशोक तंवर का मेरे पास फोन आया था, उन्होंने कहा है कि वह सिरसा से चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं, आप तैयारी करिए। सांसद ने कहा है कि अशोक तंवर 3 बार सिरसा से चुनाव लड़ चुके हैं, अब यहां से उनकी चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं है।
अशोक तंवर ने 18 जनवरी को आप छोड़कर 20 जनवरी को बीजेपी जॉइन की थी। चर्चा है कि बीजेपी उन्हें सिरसा सीट से टिकट दे सकती है। जिसके बाद से सांसद दुग्गल लगातार एक्टिव नजर आ रही हैं।
दुग्गल को टिकट काटने का डर क्यों
दुग्गल को अपना टिकट कटने का अंदेशा क्यों? मौजूदा सांसद सुनीता दुग्गल को सिरसा से अपना टिकट कटने का डर सता रहा है। इसकी कुछ बड़ी वजह हैं पहली- हाल ही में भाजपा के द्वारा कराए गए सर्वे में सिरसा सीट काफी कमजोर मिली हैं, इनमें सिरसा क्षेत्र में उनकी सक्रियता काफी कम है।
दूसरा- 2019 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद सुनीता दुग्गल ने पूरे संसदीय हलके में धन्यवादी दौरे तक नहीं किए।
तीसरी- सबसे बड़ी वजह उनका रवैया है। सुनीता दुग्गल के रवैये और व्यवहार से सिरसा संसदीय हलके के लोगों के साथ-साथ भाजपा वर्करों में भी नाराजगी है।
चौथा- क्षेत्रीय नेताओं और ज्यादा तर कार्यकर्ताओं के साथ तालमेल की कमी भी है

तंवर की दावेदारी इन बड़ी वजह से मजबूत…
पहली- पार्टी का बड़ा दलित चेहरा
अशोक तंवर अभी भाजपा के हरियाणा में बड़ा दलित चेहरा हैं। हरियाणा की 10 में से 2 लोकसभा सीटें अंबाला और सिरसा रिजर्व हैं। अंबाला के बीजेपी सांसद रत्नलाल कटारिया के निधन के बाद पार्टी को वहां क्यों दे रही हैं सांसद ऐसा बयान सिरसा से सांसद सुनीता दुग्गल के ऐसे बयान देने की कुछ वजह है, उन्हें डर है कि कहीं उनका टिकट न कट जाए। हाल ही में उन्होंने पिछले दिनों नई दिल्ली में पार्टी के प्रदेश प्रभारी बिप्लब देब से मुलाकात की थी।

उनके अलावा सिरसा लोकसभा हलके में पूर्व IPS अधिकारी वी. कामराज ने भी अपना जनसंपर्क अभियान चला रखा है। वी. कामराज को सिरसा जिले में एक हीरो की तरह देखा जाता रहा है। कामराज इस बार यहां से बीजेपी टिकट के दावेदारों में शामिल हैं। इन तमाम चर्चाओं के बीच मौजूदा सांसद सुनीता दुग्गल भी अपनी सीट बचाने के लिए सक्रिय हो गई हैं। उन्होंने पार्टी के सीनियर नेताओं से संपर्क साधना शुरू कर दिया है।
दलित चेहरे की तलाश है। हालांकि वहां कटारिया की पत्नी बंतो कटारिया इस बार चुनाव लड़ने की दावेदार हैं।
दूसरी रिजर्व सीट सिरसा से बीजेपी की सुनीता दुग्गल सांसद के लिए पार्टी के इंटरनल सर्वे में उनकी रिपोर्ट ठीक नहीं है। हरियाणा में बीजेपी के पास कोई बड़ा दलित चेहरा नहीं है, इसलिए पार्टी तंवर को लाकर उस स्थान को भरना चाहती है। उन्हें सिरसा या अंबाला से लोकसभा चुनाव लड़वाया जा सकता है।
दूसरी- सिरसा से सांसद रह चुके
अशोक तंवर साल 2009 में कांग्रेस के टिकट पर सिरसा से लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। हालाँकि 2014 के चुनाव में अशोक तंवर को हार का सामना करना पड़ा इसके वाबजूद भी 390,634 प्राप्त किये। इसी तरह 2019 में मोदी लहर के वाबजूद 404,433 वोट प्राप्त किये थे। ऐसे में बीजेपी उन्हें इस बार इसी सीट से लोकसभा चुनाव में उतार सकती है। सिरसा से भाजपा की मौजूदा सांसद सुनीता दुग्गल अशोक तंवर का विरोध कर रही हैं। हालांकि तंवर ने पहले कहा था कि वे टिकट की मंशा से बीजेपी में नहीं जा रहे। वह पार्टी का मजदूर बनकर जा रहे हैं। पार्टी जहां कहेगी, वहां जाकर मजदूरी करेंगे।

